नमस्कार। मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है। आज हम गन्ना फसल में उन्नत पेड़ी प्रबन्धन के बारे में जानकारी साझा कर रहे हैं।
गन्ना पेड़ी प्रबन्धन
हमारे देश में गन्ना मुख्य फसल है। और अच्छा उत्पादन करने के लिए गन्ना पेड़ी का योगदान 50-60% के अंतर्गत आता है। गन्ने की खेती के लिए कुशल पेड़ी प्रबन्धन ही अति आवश्यक हो जाता है।
हमारे देश में गन्ना मुख्य फसल है। और अच्छा उत्पादन करने के लिए गन्ना पेड़ी का योगदान 50-60% के अंतर्गत आता है। गन्ने की खेती के लिए कुशल पेड़ी प्रबन्धन ही अति आवश्यक हो जाता है।
गन्ना |
कुशल पेड़ी प्रबन्धन के लिए महत्वपूर्ण सस्य गतिविधियां
गन्ने की फसल में पेड़ी गन्ने में बचत की फसल होती है। जिसमे उत्तम पेड़ी प्रबन्धन करना अनिवार्य हो जाता है। बचत की करें तो बीज की बचत, भूमि की जुताई की लागत, पेलवा, बुवाई और फसल की सुरक्षा आदि में प्रति हेक्टेयर कम लागत है। जिसका पेड़ी फसल अधिक लाभ देती है।
खाद, उर्वरक , सिंचाई, निराई और कीट नियंत्रण आदि की समयबद्ध व्यवस्था के कारण गन्ना पेडी की पैदावार में अधिक वृद्धि होती है।पेड़ी गन्ने की फसल के लिए समय-समय पर कृषि गतिविधियाँ को अपनाने के लिए जोर दिया जाना चाहिए।
सतह से कटाई: - गन्ने की फसल के लिए आवश्यक होता है पौधे गन्ने की कटाई तेज धार वाले हथियार से गन्ने की जमीन की सतह से करनी चाहिए। । जिसके परिणामस्वरूप उपज में बढ़ोतरी के साथ स्वस्थ और निरोग प्रजाति विकसित होती है क्योंकि कोई भी गन्ना प्रजाति अपनी स्वस्थ पेड़ी और कुशल पेड़ी प्रबन्धन के साथ ही उत्तम प्रर्दशन करती हैं।
ठूंठ कटाई: - पेड़ी गन्ने की फसल के लिए और गन्ना पौधा वृद्धिऔर समान आकार के लिए कृषि गतिविधियाें में गन्ने की उपर बढ़ने वाली शाखाओं को सतह से समान रूप से काटा जाता है, और ध्यान देने की बात है कि ठूंठ भूमि की सतह से उपर न रहे। परिणामस्वरूप जमीन की सतह के उपरी आंख के फुटकर झुंड में सतह के नीचे वाली आखो में बहुत ही कम फुटाव होगा ऊपर तेज होगी। और बाद में भी उपरी आंखों में एक पौधा बाद में पोषक तत्वों और संरक्षण के लिए नहीं होना चाहिए।
जड़ों की कटाई - छंटाई और निराई - पेड़ी गन्ने के खेतों की देशी हल या कल्टीवेटर से जुताई करना आवश्यक है, पुरानी जड़ों को तोड़ दें ताकि पुरानी जड़ों को तब तक बदल दिया जाए जब तक कि नई जड़ें बदल न जाएं। जिससे मृदा से पौधे की जड़ों को पोषक तत्व मिलते रहे। यदि पुरानी जड़ों को नहीं तोडते तो नई जड़ों की स्थापना में बहुत समय लगने के कारण पौधै की वृद्धि प्रभावित हो जाती है।
बड़े पोंगले की व्यवस्था : बड़े पोंगलो पर कीट व्याधियों के प्रकोप का खतरा बढ़ जाता है। खेत में निकले हुए बड़े पोंगलो को काट देना चाहिए और परिणामस्वरूप इससे फसल की पोषकता बनी रहे।
रिक्त स्थान की पूर्ति : कुशल पेड़ी प्रबन्धन के लिए रिक्त स्थान की पूर्ति होना अनिवार्य हो जाता है। खेत में कहीं-कहीं पर गन्ना फुटाव नहीं पाया जाता है तो उनके स्थान पर गन्ने की उपरी हिस्से की आंख के टुकड़ों को 0.1% बॉवस्टीन के घोल से उपचारित करके खाली स्थानों को अवश्य भर देना चाहिए। रिक्त स्थान की पूर्ति कुशलता से करने पर गन्ने की फसल की बराबरी से पैदावार और सिंचाई और खाद उर्वरक का समुचित प्रबंधन में बहुत कारगर साबित होता है।
पेड़ी फसल सुरक्षा का संरक्षण: - पूर्व-कटाई में कीटों का प्रकोप होता है जैसे कि भूमिगत कीट जैसे दीमक या सफेद ग्रब (गुबरेला)। जो रोपण के समय निराई करते हुए इमिडाक्लोरप्रिड जैसे कीटनाशक रसायनों का उपयोग 1000 मिलीग्राम / हेक्टयर सूखा हुआ बालू का प्रयोग कर सिंचाई अवश्य करें। और दूसरी बार अगस्त या सितंबर में खड़ी फसल करना में भी करना नियंत्रित करने के लिए आवश्यक हो जाता है। ये कीट गन्ना की प्रारंभिक वृद्धि को प्रभावित करते है जिसका जून से सितंबर तक और भूमिगत जड़ों को बुरी तरह से खाने से बचाव किया जा सकता है। जोकि अच्छे फसल उत्पादन के लिए इसका नियंत्रण बहुत महत्वपूर्ण है। अन्यथा, खड़ी फसल की वृद्धि और उपज पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। उपरोक्त कीटों का प्रकोप सभी क्षेत्रों में भयानक बढ़ता जा रहा है। इसलिए उपरोक्त कीटों को नियंत्रित और प्रबंधित करना बहुत महत्वपूर्ण है।
पत्ती काटने या कीट चूसने वाले कीटों पर नियंत्रण: -
गन्ने की फसल में मिलीभगत , चोटीबेधक ,काले चिकटे आदि कीटो का अधिक प्रकोप है, तो सूखी पत्ती को जलाकर नष्ट कर दें। जिसके कारण कीट रोग के अंडे भी खेत में नष्ट हो जाएंगे। सूखे पत्ते को जलाने के 24 घंटे के भीतर खेतों को पानी देना चाहिए। पेड़ी फसल के शुरुआत में कीटों आदि से बचाने के लिए पौधे की जड़ों में 15 दिनों के अंतराल पर दो बार किसी कीटनाशक रसायन का छिड़काव जैसे न्यूवन + प्रोफिनोफोस 40% + साईपरमैथॉन 4% (रॉकेट) या मोनोक्रोटोफ़ॉस आदि योग संयंत्र गन्ने की कटाई के 15 - 20 दिनों के अंतराल पर करना चाहिए और तत्काल प्रकोप से बचाया जा सके।
गन्ने की फसल में मिलीभगत , चोटीबेधक ,काले चिकटे आदि कीटो का अधिक प्रकोप है, तो सूखी पत्ती को जलाकर नष्ट कर दें। जिसके कारण कीट रोग के अंडे भी खेत में नष्ट हो जाएंगे। सूखे पत्ते को जलाने के 24 घंटे के भीतर खेतों को पानी देना चाहिए। पेड़ी फसल के शुरुआत में कीटों आदि से बचाने के लिए पौधे की जड़ों में 15 दिनों के अंतराल पर दो बार किसी कीटनाशक रसायन का छिड़काव जैसे न्यूवन + प्रोफिनोफोस 40% + साईपरमैथॉन 4% (रॉकेट) या मोनोक्रोटोफ़ॉस आदि योग संयंत्र गन्ने की कटाई के 15 - 20 दिनों के अंतराल पर करना चाहिए और तत्काल प्रकोप से बचाया जा सके।
खाद उवर्रक व पोषक तत्व : कुशल पेड़ी प्रबन्धन के लिए बहुत ही आवश्यक होता है कि पेड़ी गन्ने में पोषक तत्वों की कमी नहीं आनी चाहिए। जब पौधे गन्ने को काटते हैं तो उससे उत्पन्न होने वाली पेड़ी गन्ने की नई जड़ों को अधिक पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है।
अच्छी पेडी की फसल लेने के लिए संतुलित उर्वरकों की आवश्यकता होती है। और सामान्य पौधा फसल पेड़ी की तुलना से डेढ़ गुना अधिक प्रयोग होता है। निम्न तालिका के अनुसार, प्रति प्रति बीघा मुख्य और सक्षम तत्व देने की सिफारिश की गई है। मिट्टी परीक्षण के आधार पर संतुलित उर्वरक का उपयोग अच्छी पैदावार लेने के लिए बहुत आवश्यक है।
अच्छी पेडी की फसल लेने के लिए संतुलित उर्वरकों की आवश्यकता होती है। और सामान्य पौधा फसल पेड़ी की तुलना से डेढ़ गुना अधिक प्रयोग होता है। निम्न तालिका के अनुसार, प्रति प्रति बीघा मुख्य और सक्षम तत्व देने की सिफारिश की गई है। मिट्टी परीक्षण के आधार पर संतुलित उर्वरक का उपयोग अच्छी पैदावार लेने के लिए बहुत आवश्यक है।
पोषक तत्व सारणी |
जिस खेत में गन्ने की पेड़ी ली जानी है, वहाँ खड़े पौधे गन्ने को 20-25 दिन पहले 60 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर पोटाश के उपयोग कर सिंचित किया जाना चाहिए, ताकि खड़े गन्ने में स्वस्थ पोखरों का फुटाव वह संख्या अधिक हो।
गन्ने की कटाई के बाद पोगलो में कीट जैसे ब्लैक बग , मिली बग आदि कीट पोंगल पर पैदा हो जाते हैं। । जिनका रासायनिक कीटनाशक के प्रयोग से नियंत्रण आवश्यक हो जाता है।
गन्ने की कटाई के बाद पोगलो में कीट जैसे ब्लैक बग , मिली बग आदि कीट पोंगल पर पैदा हो जाते हैं। । जिनका रासायनिक कीटनाशक के प्रयोग से नियंत्रण आवश्यक हो जाता है।
खरपतवार नियंत्रण: - कुशल पेड़ी प्रबन्धन के लिए खरपतवार नियंत्रण आवश्यक है। जोकि गन्ने की बढ़वार में उपस्थित रह कर पोषक तत्वों की मात्रा कम कर देते हैं और पेड़ी वृद्धि प्रभावित हो जाती है। जैसे मोथा , पत्थरचट्टा , कृष्णनील , सत्यानाशी , सॉठ , बथुआ , दूब घास आदि खरपतवार रोग व कीटों को शरण देते हैं।
खेत को खरपतवारों से मुक्त व सुरक्षा रखने के लिए फसल की निराई-गुड़ाई लगातार करनी चाहिए। जिसके परिणामस्वरूप मिट्टी का संरक्षण , सिंचाई की नमी संरक्षण होता है। और आखिरी जुताई के समय पेड़ी गन्ने में मिट्टी अवश्य चढ़ाएं , जिससे फसल को काफी हद तक गिरने से रोका जा सकता है। मेढ़ों के बीच में खाद डालने के बाद ही सूखी पत्तियों को बिछाकर खरपतवार को नियंत्रित किया जाना चाहिए, क्योंकि पत्तियों को पहले से ही खेत में छोड़ देना बहुत गलत है, जिसके कारण उपरोक्त कृषि कार्य ठीक से नहीं हो पाते हैं।
धन्यवाद। आशा करते हैं कि आपको पेड़ी प्रबन्धन के लिए बहुत ही अच्छा लेख लगा है। अपने सुझाव आदि हमें लिखें updateagriculture@gmail.com
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