नमस्कार। मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है। आज हम गन्ना फसल को नुक्सान पहुंचाने वाले मुख्य कीटो के बारे में तथा नियंत्रण उपचार हेतु जानकारी साझा कर रहे हैं।
हमारे देश में गन्ना मुख्य फसल है। नगदी फसल होने के कारण ही कृषक अन्य फसलें की अपेक्षा गन्ना फसल की बुवाई करना पसंद करते हैं।
गन्ना ग्रेमीनी कुल के अंतर्गत आता है। गन्ने की फसल को लगभग 200 प्रकार के कीट संक्रमित करने के लिए को जाना जाता है। इन कीटो का सीधा प्रभाव फसल के अंकुरण , बढ़वार पर पड़ जाता है। जोकि अलग अलग समय तथा अनुकूल परिस्थितियों में फसल को नुक्सान पहुंचा कर उपज में 35-45% की कमी हो सकती हैं। कृषक को इन कीटो के फसल पर होने वाले प्रभाव को कम करने के लिए इन कीटो के बारे में जानकारी प्राप्त होना अनिवार्य है।
गन्ने की फसल में अच्छा उत्पादन करने के लिए गन्ने के कीटो के बारे में जानकारी तथा उपचार हेतु सहायक जानकारी अति आवश्यक हो जाता है। कीट नियंत्रण करने से फसल की पैदावार और बढ़ोतरी का योगदान 50-60% के अंतर्गत आता है। गन्ने की खेती के लिए कुशल कीट प्रबन्धन ही अति आवश्यक हो जाता है।
गन्ने में कीट गन्ना बुवाई से लेकर फसल की कटाई तक फसल में भूमिगत कीट , पत्ती एवं तना चूसक कीट , पत्ती खाने वाले कीट आदि कीट विभिन्न अवस्थाओं में फसल को नुक्सान पहुंचाते हैं। यदि जिनका समय रहते उपचार हेतु उपाय नहीं कराते हैं तो गन्ना फसल को नष्ट कर देते हैं। जिसका सीधा प्रभाव फसल की पैदावार को नुक्सान पहुंचाता है।
गन्ने की प्रमुख कीटो की जानकारी एवं रोकथाम
पिछली फसल के अवशेषों से या अस्वस्थ गन्ना बीज की बुआई से फसल को संक्रमित करते हैं।
गन्ना फसल में आने वाली मुख्य कीट व उनके लक्षण तथा बचाव हेतु उपचार के लिए की गई सिफारिशे आदि कृषक के लिए यह लेख साझा कर रहे हैं। जोकि निम्न प्रकार से है।
मुख्य कीट
• दीमक
• सफेद गिडार ( व्हाईट ग्रब )
• मिली बग
• अंकुर बेधक ( कन्सुआ )
• चोटी/शीर्ष बेधक ( टॉप बोरर )
• तना बेधक ( रूट बोरर )
• जड़ बेधक ( शूट बोरर )
• पायरिला
1. दीमक -:
ये सामाजिक कीड़े हैं जो झुंडो में रहते हैं। वर्ष भर गन्ने की फसल को नुक्सान पहुंचाते हैं। और अधिकतर मानसून के समय में मिट्टी में प्रवेश करते है। जब दीमक गन्ने पर हमला करती है, तो संक्रमित पौधों की पुरानी पत्तियां पहले सूखने लगती हैं और गन्ने को खोखला कर मिट्टी भर जाती है। पौधों की पैदावार में भारी कमी होती है। अगर दीमक के संक्रमण का समय रहते पता नहीं लगाया गया और नियंत्रित किया गया तो पूरी फसल नष्ट हो सकती है।
दीमक नियंत्रण के उपाय हेतु :
गन्ने में दीमक के नियंत्रित हेतु निम्नलिखत नियंत्रण उपायों को अपनाया जा सकता है:
• कीटो के संक्रमण को रोकने के लिए कुशल फसल चक्र अपनाएं।
• गन्ने की फसल में दीमक का प्रकोप कम करने के लिए खेत को सुखने न दे सिंचाई करते रहना चाहिए।
• रोपण के समय, फर्र में बीज को लेसेन्टा @ 150 ग्राम / एकड़ के साथ 400 लीटर पानी में भीगना चाहिए।
• नियंत्रण के लिए निम्न किसी एक रसायन को क्लोरिपाइरिफास , क्वीनालफॉस 5 ली , इमिडाक्लोपरिड 1 ली0 , बाइफेन्धिन 0 . 800 लीo को 75 किग्रा सूखे रेते में मिलाकर किसी एक उपरोक्त कीटनाशक रसायन को मिलाकर बुवाई के समय नाली में गन्ने के टुकड़ों पर प्रयोग में लाए।
• रोपण के समय, बीज को डैंन्टोसु Dontatsu @ 150 ग्राम / एकड़ में 400 लीटर पानी में भीगने का इलाज किया जा सकता है।
• रोपण के समय, अच्छी तरह से विघटित गाय के गोबर के 100 किलोग्राम और नीम केक के 100 किलोग्राम को ठीक से मिलाएं और रोपण के समय फसल में उपयोग करें।
2. सफेद गिडार/ ग्रब ( व्हाईट ग्रब ) -:
सफेद ग्रब गन्ने में एक बहुत ही गंभीर कीट है, सफेद ग्रब भूरे रंग का झुर्रीदार होता है। फरवरी से अक्टुबर तक अधिक प्रकोप होता है। और जब अटैक करते हैं तो गन्ने की जड़ों और गुठलियां खाने लगती है जिससे पत्तियां धीरे धीरे पीली पड़ने लगती है और फसल का बड़ा हिस्सा सूखने पर मरने लगता है।
सफेद गिडार के नियंत्रण के उपाय हेतु -:
• बुवाई के लिए स्वस्थ गन्ने के टुकड़ों का चयन करना चाहिये ।
• कीटो के संक्रमण को रोकने के लिए कुशल फसल चक्र अपनाएं।
• गन्ने के बीज को 125 लीटर पानी में कॉन्फिडोर (इमिडाक्लोप्रिड) @ 125 मिली / एकड़ के साथ उपचारित किया जा सकता है।
• नियंत्रण के लिए निम्न किसी एक रसायन को क्लोरिपाइरिफास , क्वीनालफॉस 5 ली , रोकेट / मोनोक्रोटोफोस , इमिडाक्लोपरिड 1 ली0 , बाइफेन्धिन 0 . 800 लीo को 75 किग्रा सूखे रेते में मिलाकर किसी एक उपरोक्त कीटनाशक रसायन को मिलाकर बुवाई के समय नाली में गन्ने के टुकड़ों पर प्रयोग में लाए।
• रोपण के समय, अच्छी तरह से विघटित गाय के गोबर के 100 किलोग्राम और नीम केक के 100 किलोग्राम को ठीक से मिलाएं और रोपण के समय फसल में उपयोग करें।
3. मिली बग -:
मिली बग के कीड़े मुख्य रूप से आम कीट हैं, लेकिन गन्ने में उनके संक्रमण को मामूली से गंभीर रूप में देखा गया है।
यह गुलाबी रंग की होते है और सफेद मोमी कोटिंग के साथ एक अंडाकार अच्छी तरह से खंडित शरीर होता है। मिली बग युवा गन्ने के निचले नोड्स में पाए जाते हैं और पत्ती म्यान द्वारा संरक्षित होते हैं। निम्फ और वयस्क फसल को चूसते हैं और फसल की जीवन शक्ति को कम करते हैं, जिस पर कालिख का साया बढ़ता है, पत्तियां काली दिखाई देती हैं और गन्ने की वृद्धि मंद होती है।
मिली बग |
मिली बग के नियंत्रण उपचार हेतु -:
प्रारंभिक चरण में इसे आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है जबकि बाद के चरण में इसे नियंत्रित नहीं किया जा सकता है और पूरे गन्ना क्षेत्र को नुकसान हो सकता है। प्रारंभ में, नीम के तेल का उपयोग करें @ 250 मिली लीटर इमिडाक्लोप्रिड @ 375 मिली / हेक्टेयर या नीम के तेल + एसेटामिप्रीड @ 250 ग्राम / एकड़ के हिसाब से 500 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
• मिली बग के नियंत्रण के लिए कुशल पेड़ी प्रबन्धन कर फसल के अवशेषों को खेत से बाहर निकल दिया जाना चाहिए।
• गन्ने के बीज को 125 लीटर पानी में कॉन्फिडोर (इमिडाक्लोप्रिड) @ 125 मिली / एकड़ के साथ उपचारित किया जा सकता है।
• रोपण के समय, बीज को डैंन्टोसु Dontatsu @ 150 ग्राम / एकड़ में 400 लीटर पानी में भीगने का इलाज किया जा सकता है।
• कीटो के संक्रमण को रोकने के लिए कुशल फसल चक्र अपनाएं।
• रोपण के समय, अच्छी तरह से विघटित गाय के गोबर के 100 किलोग्राम और नीम केक के 100 किलोग्राम को ठीक से मिलाएं और रोपण के समय फसल में उपयोग करें।
4. अंकुर बेधक ( कन्सुआ ) -:
अंकुर बेधक गन्ने में एक बहुत ही गंभीर कीट है यह गन्ने के बुवाई के 1-2 माह में ही दिखने लगता है। जिसका प्रकोप मार्च से जून तक अधिक बढ़ जाता है। इसकी सूड़ियां गन्ने के प्ररोह में जमीन के नीचे वाले भाग में छिद्र बनाकर प्रवेश करते है और क्षतिग्रस्त कर देती हैं गन्ना पौधे की उपरी पत्ती सुखकर काली पड़ जाती है। सुखी हुई पत्ती को गोफ आसानी से खिंचने पर सडी हुई बाहर आ जाती हैं और विषैली गन्ध आती है। प्रारंभिक चरण में इसे आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है जबकि बाद के चरण में इसे नियंत्रित नहीं किया जा सकता है और पूरे गन्ना क्षेत्र को नुकसान हो सकता है।
अंकुर बेधक के नियंत्रण उपचार हेतु -:
• बुवाई के लिए स्वस्थ गन्ने के टुकड़ों का चयन करना चाहिये ।
• कीटो के संक्रमण को रोकने के लिए कुशल फसल चक्र अपनाएं।
• यदि गन्ने की फसल में अंकुर बेधक के लक्षण दिखाई देते हैं तो खेत को सुखने न दे सिंचाई करते रहे।
• नियंत्रण के लिए निम्न किसी एक रसायन को फोरेट 10 जी / फेवनलरेट 0.4 % धूल क्लोरिपाइरिफास , क्वीनालफॉस 5 ली , रोकेट बाइफेन्धिन 0 . 800 लीo को 75 किग्रा सूखे रेते में मिलाकर किसी एक उपरोक्त कीटनाशक रसायन को मिलाकर बुवाई के समय नाली में गन्ने के टुकड़ों पर प्रयोग में लाए।
• रोपण के समय, बीज को डैंन्टोसु Dontatsu @ 150 ग्राम / एकड़ में 400 लीटर पानी में भीगने का इलाज किया जा सकता है।
• रोपण के समय, अच्छी तरह से विघटित गाय के गोबर के 100 किलोग्राम और नीम केक के 100 किलोग्राम को ठीक से मिलाएं और रोपण के समय फसल में उपयोग करें।
5. चोटी/शीर्ष बेधक ( टॉप बोरर ) -:
चोटी बेधक गन्ने में एक बहुत ही गंभीर कीट है। आमतौर पर शीर्ष से दूसरे से पांचवें पत्ते तक पहुंचता है। पत्तियों पर शॉट छोटे छोटे लाल भूरे लाल छेद के रूप में दिखाई देती हैं। तथा पत्ती को खिंचने पर इसे आसानी से बाहर नहीं निकाला जा सकता है। जिसके प्रकोप से पूरी फसल प्रभावित हो जाती है। जिससे गन्ने की पैदावार के साथ ही चीनी की मात्रा को कम करता है।
चोटी/शीर्ष बेधक के नियंत्रण उपचार हेतु -:
• बुवाई के लिए स्वस्थ गन्ने के टुकड़ों का चयन करना चाहिये ।
• कीटो के संक्रमण को रोकने के लिए कुशल फसल चक्र अपनाएं।
• गन्ना फसल में यह सुनिश्चित करें कि खेत में सिंचाई का पानी ना ठहराया जाए। उचित जल निकासी की व्यवस्था कर चोटी बेधक के नियंत्रण में सहायक होता है।
• मई के अंतिम सप्ताह में, कोरेगन @ 150 मिलीलीटर प्रति एकड़ 400 लीटर पानी में घोलकर सूखे खेत में पौधे के जड़ क्षेत्र के पास और कीटनाशक को गीला करने के 24 घंटे के भीतर सिंचाई करें।
• यदि भीगना संभव नहीं है, तो कार्बोफ्यूरान 3 जी का 30 किग्रा प्रति हेक्टेयर की दर से सुखे रेत में मिलाकर जून के मध्य में जुलाई के पहले सप्ताह से पहले उपयोग करें।
• रोपण के समय, बीज को डैंन्टोसु Dontatsu @ 150 ग्राम / एकड़ में 400 लीटर पानी में भीगने का इलाज किया जा सकता है।
• रोपण के समय, अच्छी तरह से विघटित गाय के गोबर के 100 किलोग्राम और नीम केक के 100 किलोग्राम को ठीक से मिलाएं और रोपण के समय फसल में उपयोग करें।
6. तना बेधक ( रूट बोरर ) -:
तना बेधक गन्ने में एक बहुत ही गंभीर कीट है। इसकी सुंडी गन्ने के किसी भी भाग से प्रवेश हो जाती है। और एक गन्ने में बहुत ही सुंडी हो जाती है। यह अगस्त से फ़रवरी में छोटे गन्ने के पौधों को नुक्सान पहुंचाता है। जिसका सीधा असर फसल की बढ़ोतरी पर पड़ता है। पत्तियों पर छोटे छोटे छिद्र बन जाते हैं। और ग्रस्त पत्ती पीली नारंगी रंग की परत जैसे हो जाती है। जिसका समय रहते उपचार नहीं कराते तो पूरी फसल को नुक्सान पहुंचाते हैं।
तना बेधक के नियंत्रण उपचार हेतु -:
• बुवाई के लिए स्वस्थ गन्ने के टुकड़ों का चयन करना चाहिये ।
• कीटो के संक्रमण को रोकने के लिए कुशल फसल चक्र अपनाएं।
• रोपण के समय, बीज को डैंन्टोसु Dontatsu @ 150 ग्राम / एकड़ में 400 लीटर पानी में भीगने का इलाज किया जा सकता है।
• नियंत्रण के लिए निम्न किसी एक रसायन को फोरेट 10 जी / फेवनलरेट 0.4 % धूल क्लोरिपाइरिफास , क्वीनालफॉस 5 ली , रोकेट बाइफेन्धिन 0 . 800 लीo को 75 किग्रा सूखे रेते में मिलाकर किसी एक उपरोक्त कीटनाशक रसायन को मिलाकर बुवाई के समय नाली में गन्ने के टुकड़ों पर प्रयोग में लाए।
• कार्बोफ्यूरान 3 जी का 30 किग्रा प्रति हेक्टेयर की दर से सुखे रेत में मिलाकर जुलाई के पहले सप्ताह से पहले उपयोग करें।
• रोपण के समय, अच्छी तरह से विघटित गाय के गोबर के 100 किलोग्राम और नीम केक के 100 किलोग्राम को ठीक से मिलाएं और रोपण के समय फसल में उपयोग करें।
7. जड़ बेधक ( शूट बोरर ) -:
जड बेधक गन्ने में एक बहुत ही गंभीर कीट है। इसकी सुंडी गन्ने के जड़ से प्रवेश कर पत्तियों को क्षति पहुंचाती है , जिसके कारण पत्तियों के किनारे उपर से नीचे पीली पड़ने लगती है। जब गन्ने को उखाड़ते है तो जड़ में छिद्र किये हुए सुंडी पाई जाती है।
जड़ बेधक के नियंत्रण उपचार हेतु -:
• कीटो के संक्रमण को रोकने के लिए कुशल फसल चक्र अपनाएं।
• गन्ना बुवाई के तीन माह में ही मिट्टी चढ़ाएं जिससे जड़ बेधक के नियंत्रण करता है।
• यदि गन्ने की फसल में जड़ बेधक के लक्षण दिखाई देते हैं तो खेत को सुखने न दे सिंचाई करते रहे।
• कार्बोफ्यूरान 3 जी का 30 किग्रा प्रति हेक्टेयर की दर से सुखे रेत में मिलाकर जुलाई के पहले सप्ताह से पहले उपयोग करें।
• रोपण के समय, बीज को डैंन्टोसु Dontatsu @ 150 ग्राम / एकड़ में 400 लीटर पानी में भीगने का इलाज किया जा सकता है।
8• पायरीला -:
इसे आमतौर पर लीफ हॉपर और गन्ने का फुदका (पाइरिला पेरपुसिला) के रूप में जाना जाता है, ये हल्के भूरे रंग के होते हैं। मई-जून में उच्च आर्द्रता, भारी खाद और सिंचाई कीट के गुणन के पक्ष में है। निम्फ और वयस्क पत्तियों से चूसते हैं। गंभीर मामलों में, पत्तियां मुरझा जाती हैं और सूख जाती हैं। पौधे बीमार और धुंधला दिखाई देते हैं। जिस पर कालिख का सांचा विकसित होता है। सुक्रोज सामग्री कम हो जाती है।
पाइरिला के नियंत्रण उपचार हेतु -:
• फसल में पाइरिला रोकने के लिए कुशल फसल चक्र अपनाएं।
• नियंत्रण के लिए निम्न किसी एक रसायन को क्लोरिपाइरिफास , क्वीनालफॉस 5 ली , रोकेट / मोनोक्रोटोफोस , इमिडाक्लोपरिड1 ली0 , बाइफेन्धिन 0 . 800 लीo को 75 किग्रा सूखे रेते में मिलाकर किसी एक उपरोक्त कीटनाशक रसायन को मिलाकर बुवाई के समय नाली में गन्ने के टुकड़ों पर प्रयोग में लाए।
• अंडे वाले पत्तों को तोड़कर नष्ट कर पाइरिला के नियंत्रण में सहायक होता है।
• रोपण के समय, बीज को डैंन्टोसु Dontatsu @ 150 ग्राम / एकड़ में 400 लीटर पानी में भीगने का इलाज किया जा सकता है।
धन्यवाद। आशा करते हैं कि आपको यह लेख से उचित मिली हैं। अपने सुझाव आदि हमें कमेन्ट करें या हमें लिखें updateagriculture@gmail.com
और देखें गन्ना : प्रमुख रोग व उपचार
गन्ना : पेड़ी प्रबन्धन
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