नमस्कार। मेरे ब्लोग पर आप सभी का स्वागत है। आज हम भारतीय कृषि क्षेत्र में लाती गरी क्रान्तिया के बारे में जानकारी साझा कर रहे हैं।
भारत के कृषि क्षेत्र को बढवा देने के लिए कृषि क्षेत्र में कई प्रकार की क्रांति लाई गई जिनकी सहायता से भारत में कृषि के क्षेत्र में काफी स्तर तक सुधार आया और भारत का विश्व में एक अलग स्थान बना तो आइये जानते हैं भारत में कृषि के क्षेत्र हुई क्रांतियाँ।
माना जाता है कि भारत में पहली क्रांति 1966 -67 की हरित क्रांति के साथ शुरू हुई थी। इस क्रांति के कारण, बीजों की उन्नत गुणवत्ता को प्राथमिकता दी गई, जिसके परिणामस्वरूप भारत खाद्य उत्पादन में आत्मनिर्भर हो गया। इस क्रांति के बाद, भारत में दूध क्रांति, पीली क्रांति, गोल क्रांति, नीली क्रांति आदि शुरू हुई और भारत दूध, सरसों, आलू और मछली उत्पादन में आत्म निर्भर हो गया।
कृषि क्रांतियाँ
1. हरित क्रांति
2. नीली क्रांति
3. स्वेत / सफेद क्रांति
4. रजत/ सिल्वर क्रांति
5. सुनहरी/ गोल्डन क्रांति
6. ग्रे / ब्राउन क्रांति
7. पीली क्रांति
8. लाल क्रांति
9. गोल क्रांति
10. काली क्रांति
11. इन्द्रधनुष क्रान्ति
1. हरित क्रांति : 1960 के दशक में हरित क्रांति की शुरुआत मानी जाती है। हरित क्रांति के जनक डॉ नार्मन बोरलॉग ओर भारत में डॉ एम.एस. स्वामीनाथन को श्रेय दिया जाता है। गेहूं और धान वर्षो से हरित क्रांति का मुख्य आधार रहा है, जिसके परिणामस्वरूप उपज में सुधार हुआ और अतिरिक्त उपज देने वाली फसलें की किस्मों में वृद्धि हुई और प्रति वर्ष अतिरिक्त टन अनाज का उत्पादन किया जाता है। और कृषि श्रमिकों के रोजगार के अवसर प्राप्त हुआ और आय में वृद्धि कराई गई। 1970 में डॉ नार्मन बोरलॉग को विश्व के सर्वश्रेष्ठ पुरस्कार नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
2. नीली क्रांति : 1985 में मत्स्य उद्योग विभाग उत्पादन में वृद्धि के लिए नीली क्रांति की शुरुआत का श्रेय डॉ अरुण कृष्णा और हरलाल चौधरी को दिया जाता है। जिसके परिणामस्वरूप भारत के मछली उत्पादन में वृद्धि हुई। ओर 2013-14 में लगभग 96 लाख टन मछली उत्पादन रहा।
3. स्वेत/ सफेद क्रांति : 1970 के दशक के दौरान स्वेत क्रांति की शुरुआत का श्रेय डॉ डी वर्जीग कुरियन को दिया जाता है। जिसे आपरेशन फ्लड के नाम से भी जाना जाता है। स्वेत क्रांति का सीधा संबंध भारत में दूध उत्पादन में वृद्धि से रहा। देश में स्वेत क्रांति को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड द्वारा एक नया कार्यक्रम "ऑपरेशन फ्लड" शुरू किया गया। पशुपालन में सुधार के लिए अलग से एक पैकेज पेश किया गया था। सहकारी समितियां गठित की गई निजी दुध डेयरी का साझा किया गया। जिसके परिणामस्वरूप भारत दुनिया का सबसे बड़ा दुध उत्पादन करने वाला देश है। जो भारतीय किसान के रोजगार और संसधानो में वृद्धि हुई।
4. रजत/ सिल्वर क्रांति : कृषि की यह रजत क्रांति अंडा व मुर्गियों के उत्पादन से संबंधित है।
5. सुनहरी/ गोल्डन क्रांति : गोल्डन क्रांति का संबंध बागवानी , शहद , फलो के उत्पादन में वृद्धि से है। भारत फल सब्जी उत्पादन में दुनिया भर में दुसरे स्थान पर है।
6. ग्रे / ब्राउन क्रांति : ग्रे क्रांति का संबंध खाद उवर्रकों की उत्पादन क्षमता में सुधार करना और अतिरिक्त उत्पादन बढ़ाने से है। जोकि हरित क्रांति से जुड़ा हुआ है। जिसका श्रेय देवेन्द्र शर्मा को दिया गया है।
7. पीली क्रांति : 1986-1987 में डॉ सैम पित्रोदा को पीली क्रांति के जनक माने जाते हैं। जिसके अंतर्गत तिलहन फसलों के उत्पादन को बढ़ावा दिया। जिसमें मुंगफली, सरसों , तिल, अंरडी , सोयाबीन, अलसी सूरजमुखी की फसलें ली गई। 2003-04 में इन फसलों के द्वारा देश में तिलहन उत्पादन कुल 250 लाख टन था जो 2013-14 में 330 लाख टन उत्पादन लिया गया जो कि अपने आप में सर्वाधिक उत्पादन रहा। इन फसल के प्रयास से ही भारत तिलहन उत्पादन में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है। भारत तिलहन उत्पादन में दुनिया भर में रिकॉर्ड छटे स्थान बनाया रखा है।
8. लाल क्रांति : लाल क्रांति का संबंध भारत में टमाटर की उत्पादन क्षमता के साथ मांस के उत्पादन को बढ़ाने के लिए है। भारत में जिनका श्रेय विशाल तिवारी को जाता है।
9. गोल क्रांति : गोल क्रांति का संबंध आलू उत्पादन की क्षमता को बढ़ाने से है। गोल क्रांति का लक्ष्य आलू के उत्पादन में वृद्धि करना है। साथ ही, कृषि उत्पादन बढ़ाने के लिए किसानों को इसकी गुणवत्ता और मात्रा बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया गया।
10. काली क्रांति : इसका संबंध कोयला उत्पादन और पेट्रोलियम खनिज तेल के उत्पादन बढ़ाने व उत्पाद संसाधन विकास से है।
11. इन्द्रधनुष क्रान्ति : सन जुलाई 2000 में भारत सरकार ने नई कृषि नीति को लागू किया गया। जिसके अंतर्गत हरित क्रांति , नीली , लाल , स्वेत , ग्रे काली आदि क्रान्तियो को एक साथ चलाने ओर निगरानी रखने और के लक्ष्यों को हासिल करने के लिए जागरूक करने के लिए कृषि नीति का गठन किया गया जिसको इन्द्रधनुषी क्रान्ति कहा गया है।
धन्यवाद। अपने सुझाव आदि हमें लिखें updateagricture@gmail.com
भारत के कृषि क्षेत्र को बढवा देने के लिए कृषि क्षेत्र में कई प्रकार की क्रांति लाई गई जिनकी सहायता से भारत में कृषि के क्षेत्र में काफी स्तर तक सुधार आया और भारत का विश्व में एक अलग स्थान बना तो आइये जानते हैं भारत में कृषि के क्षेत्र हुई क्रांतियाँ।
माना जाता है कि भारत में पहली क्रांति 1966 -67 की हरित क्रांति के साथ शुरू हुई थी। इस क्रांति के कारण, बीजों की उन्नत गुणवत्ता को प्राथमिकता दी गई, जिसके परिणामस्वरूप भारत खाद्य उत्पादन में आत्मनिर्भर हो गया। इस क्रांति के बाद, भारत में दूध क्रांति, पीली क्रांति, गोल क्रांति, नीली क्रांति आदि शुरू हुई और भारत दूध, सरसों, आलू और मछली उत्पादन में आत्म निर्भर हो गया।
कृषि क्रांतियाँ
1. हरित क्रांति
2. नीली क्रांति
3. स्वेत / सफेद क्रांति
4. रजत/ सिल्वर क्रांति
5. सुनहरी/ गोल्डन क्रांति
6. ग्रे / ब्राउन क्रांति
7. पीली क्रांति
8. लाल क्रांति
9. गोल क्रांति
10. काली क्रांति
11. इन्द्रधनुष क्रान्ति
1. हरित क्रांति : 1960 के दशक में हरित क्रांति की शुरुआत मानी जाती है। हरित क्रांति के जनक डॉ नार्मन बोरलॉग ओर भारत में डॉ एम.एस. स्वामीनाथन को श्रेय दिया जाता है। गेहूं और धान वर्षो से हरित क्रांति का मुख्य आधार रहा है, जिसके परिणामस्वरूप उपज में सुधार हुआ और अतिरिक्त उपज देने वाली फसलें की किस्मों में वृद्धि हुई और प्रति वर्ष अतिरिक्त टन अनाज का उत्पादन किया जाता है। और कृषि श्रमिकों के रोजगार के अवसर प्राप्त हुआ और आय में वृद्धि कराई गई। 1970 में डॉ नार्मन बोरलॉग को विश्व के सर्वश्रेष्ठ पुरस्कार नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
2. नीली क्रांति : 1985 में मत्स्य उद्योग विभाग उत्पादन में वृद्धि के लिए नीली क्रांति की शुरुआत का श्रेय डॉ अरुण कृष्णा और हरलाल चौधरी को दिया जाता है। जिसके परिणामस्वरूप भारत के मछली उत्पादन में वृद्धि हुई। ओर 2013-14 में लगभग 96 लाख टन मछली उत्पादन रहा।
3. स्वेत/ सफेद क्रांति : 1970 के दशक के दौरान स्वेत क्रांति की शुरुआत का श्रेय डॉ डी वर्जीग कुरियन को दिया जाता है। जिसे आपरेशन फ्लड के नाम से भी जाना जाता है। स्वेत क्रांति का सीधा संबंध भारत में दूध उत्पादन में वृद्धि से रहा। देश में स्वेत क्रांति को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड द्वारा एक नया कार्यक्रम "ऑपरेशन फ्लड" शुरू किया गया। पशुपालन में सुधार के लिए अलग से एक पैकेज पेश किया गया था। सहकारी समितियां गठित की गई निजी दुध डेयरी का साझा किया गया। जिसके परिणामस्वरूप भारत दुनिया का सबसे बड़ा दुध उत्पादन करने वाला देश है। जो भारतीय किसान के रोजगार और संसधानो में वृद्धि हुई।
4. रजत/ सिल्वर क्रांति : कृषि की यह रजत क्रांति अंडा व मुर्गियों के उत्पादन से संबंधित है।
5. सुनहरी/ गोल्डन क्रांति : गोल्डन क्रांति का संबंध बागवानी , शहद , फलो के उत्पादन में वृद्धि से है। भारत फल सब्जी उत्पादन में दुनिया भर में दुसरे स्थान पर है।
6. ग्रे / ब्राउन क्रांति : ग्रे क्रांति का संबंध खाद उवर्रकों की उत्पादन क्षमता में सुधार करना और अतिरिक्त उत्पादन बढ़ाने से है। जोकि हरित क्रांति से जुड़ा हुआ है। जिसका श्रेय देवेन्द्र शर्मा को दिया गया है।
7. पीली क्रांति : 1986-1987 में डॉ सैम पित्रोदा को पीली क्रांति के जनक माने जाते हैं। जिसके अंतर्गत तिलहन फसलों के उत्पादन को बढ़ावा दिया। जिसमें मुंगफली, सरसों , तिल, अंरडी , सोयाबीन, अलसी सूरजमुखी की फसलें ली गई। 2003-04 में इन फसलों के द्वारा देश में तिलहन उत्पादन कुल 250 लाख टन था जो 2013-14 में 330 लाख टन उत्पादन लिया गया जो कि अपने आप में सर्वाधिक उत्पादन रहा। इन फसल के प्रयास से ही भारत तिलहन उत्पादन में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है। भारत तिलहन उत्पादन में दुनिया भर में रिकॉर्ड छटे स्थान बनाया रखा है।
8. लाल क्रांति : लाल क्रांति का संबंध भारत में टमाटर की उत्पादन क्षमता के साथ मांस के उत्पादन को बढ़ाने के लिए है। भारत में जिनका श्रेय विशाल तिवारी को जाता है।
9. गोल क्रांति : गोल क्रांति का संबंध आलू उत्पादन की क्षमता को बढ़ाने से है। गोल क्रांति का लक्ष्य आलू के उत्पादन में वृद्धि करना है। साथ ही, कृषि उत्पादन बढ़ाने के लिए किसानों को इसकी गुणवत्ता और मात्रा बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया गया।
10. काली क्रांति : इसका संबंध कोयला उत्पादन और पेट्रोलियम खनिज तेल के उत्पादन बढ़ाने व उत्पाद संसाधन विकास से है।
11. इन्द्रधनुष क्रान्ति : सन जुलाई 2000 में भारत सरकार ने नई कृषि नीति को लागू किया गया। जिसके अंतर्गत हरित क्रांति , नीली , लाल , स्वेत , ग्रे काली आदि क्रान्तियो को एक साथ चलाने ओर निगरानी रखने और के लक्ष्यों को हासिल करने के लिए जागरूक करने के लिए कृषि नीति का गठन किया गया जिसको इन्द्रधनुषी क्रान्ति कहा गया है।
धन्यवाद। अपने सुझाव आदि हमें लिखें updateagricture@gmail.com
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Bhut acha h sir
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